Tuesday 16 July 2019

जीवन प्रसंग योगी प्रहलाद नाथ जी विज्ञानी

योगी प्रहलाद नाथ विज्ञानी
त्याग तपस्या का अनूठा उदाहरण विलक्षण व्यक्तिव व्याख्याकार ,अधभुत व सरल अर्थ मे गूढ़ रहस्यों क़ो समझाने वाले भाष्यकार अवधूत योगी श्री 108प्रहलाद नाथ विज्ञानी के जीवन सें प्रेरित महत्वपूर्ण प्रसंग व उनके व्यक्तिव व कृतित्व के बारे मे कुछ बातें सार्वजनिक करने के उदेश्य सें उनका आंतरिक व बाह्य रूप जेसा मेने देखा समझा महसूस किया ब्लॉग मे प्रस्तुत कर रहा हूँ

योगी प्रहलाद नाथ जी विज्ञानी बचपन मे संन्यास लेने वाले थे लेकिन योगी श्री विवेक नाथ जी ने आज्ञा नहिं दी उन्होंने आदेश दिया पहले गृहस्थ आश्रम का पालन कर बाद मे संन्यास लेंना उस समय इनके पिताजी मंघाराम जी ने भी इन्हें संन्यास की आज्ञा नहिं दी इन्होंने अपना पूरा जीवन संत की तरह ही बिताया सरकारी सेवा सें निर्वति के बाद ही संन्यास लिया पत्नी, भरापूरा परिवार धन संपति सभी क़ो त्याग संन्यास लिया
इन्होंने अनेक धर्म ग्रंथों की सरल भाषा मे व्याख्या की हे लगभग 15 पुस्तकें पुस्तकें प्रकाशित हों चुकी हे कुछ पर लेखन चल रहा हे आपने देश के कोने कोने मे भागवत कथा ,शिव महापुराण आदि की कथा की हे गौ सेवा के अतिरिक्त कुछ भी नहिं लेते अब तक 70सें अधिक जगह आपने कथा की हे इनकी सरस वाणी सरलभाषा स्नेह सें सभी भक्त मुग्ध हों जाते हे इन्होंने पूरा जीवन कथा ,प्रवचन ,भक्तों के जीवन की शारीरिक मानसिक घरेलू सामाजिक समस्याओं के समाधान मे लगा दिया हे 
चिकित्सा के लिए इन्होंने घरेलू अदभूत व सस्ते नुस्खे संग्रहीत किए हे जो पुस्तक के रूप मे निःशुल्क उपलब्ध हे
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जीवन के प्रसंग
इनके पिताजी के कथनानुसार उनके गुरु योगी श्री 1008 श्री नवल नाथ जी महाराज की कृपा दृष्टि सें मेरे इस पुत्र का जन्म हुवा कहते हे की एक बार नवल नाथ जी महाराज बीमार हुवे तों उनको भर्ती करवाया गया । इनके पिताजी क़ो पता लगा तों तुरंत हास्पिटल गए और सामने खड़े होंकर दर्शन करते समय आंखों सें अश्रुधारा बहने लगी नवलनाथ जी महाराज ने कहा अरे रोता क्यूं हे ? उन्होंने कहा गुरुदेव आपका और हॉस्पिटल का कोई संबंध नहिं हे । उसी समय तुरंत खड़े होकर कहा की चलो आश्रम चलते हे और वह आश्रम आ गए तब उन्हें आशीर्वाद दिया तुम्हारे एक भक्त स्वरूप पुत्र होगा 18 जनवरी 1944 क़ो प्रांत 9बजे योगी प्रहलाद नाथ का जन्म हुवा नाम करण मे इनका नाम प्रहलाद निकला । परंतु शुरू सें इन्हें बाबू लाल नाम सें पुकारते थे इनके पिता जी का नाम मंघाराम माता का नाम पार्वती देवी था स्थान भिनासर जाती लखेरा भांटी थी

विद्या अध्ययन -1963मे 10 वी कक्षा उतीर्ण करके 1972मे श्री डूंगर महाविद्यालय मे एम एससी भौतिक विज्ञान मे उतीर्ण की तथा महाविद्यालय मे सचिव पद पर चुनाव लड़ा तथा  सी आर पद पर रहकर एक साल सेवा का कार्य भी किया

जीवन की दिशा मे मोड़ श्री योगी प्रहलाद नाथ जी के कथनानुसार जब 4कक्षा का विद्यार्थी था तों विद्यालय मे बाल सभा हुवा करती थी सभी साथी फिल्मी गीत गाया करते थे इन्हें एक गीत अच्छा लगा और इन्होने पिताजी क़ो सुनाया पिताजी इनके भोलेपन क़ो समज गए  पिताजी ने योगी प्रहलाद नाथ सें कहा मे तुजे अच्छे गीत सिखाऊगा पिताजी ने इन्हें निरंजन नाथ जी का रचित भजन (जुगती जन्म मरण मिट जाय ) कंठस्थ करवा दिया इस प्रकार संसार विषयो क़ो रोक इनका मन आध्यात्मिक विषयो मे लग गया

सरकारी नौकरी ---- श्री योगी प्रहलाद नाथ जी विज्ञानी सन 1971मे डूंगर महाविद्यालय सें उतीर्ण हुवे इन्होने डूंगर महाविद्यालय मे 1,2,3 year छात्रो क़ो पढाना शुरू कर दिया  नवंबर मे जब व.अ .के आदेश आए तों इन्होने देशनौक विद्यालय मे जाकर सेवा कार्य प्रारंभ किया वहा राजगढ़ स्थानान्तरण हुवा फिर चूरू  फिर पदोनति के बाद सेवा काल प्रभारी के रूप मे कार्य किया और अंतिम वर्षो मे प्रधानाचार्य के रूप मे कार्य किया 1980 मे इन्होने बी एड की डिग्री प्राप्त की
1981मे राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली मे विज्ञान भवन मे विज्ञान मेला लगा था जिसमे इन्होने छात्रो क़ो मदद दी एव आदर्श गाव का मॉडल बना कर ले गए जिसको प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने अवलोकन करके प्रशनता व्यक्त की और इन्हें विज्ञानी की पदवी दी इन्हें पूरे राजस्थान विज्ञान मेला प्रभारी बनाया
इस प्रकार आपने विज्ञानी के रूप मे कार्य किया

आपने अब तक जीव उत्थान हेतु पूरे देश मे सेकंडों भागवत कथा शिव महापुराण की हे
आपने वर्तमान मे 20से अधिक पुस्तके लिख चुके हे कईयों पर लेखन जारी हे
वर्तमान मे आप माँ लटियाल की पावन धरा फलोदी मे चातुर्मास होगा

Friday 12 July 2019

माँ लटियाल स्तुति



रक्तिम साड़ी तन सजे,गुड़हल हार सुहाय।
मस्तक मुकुट बिराजता, शोभा भक्त लुभाय।।

लटियाल सिंह पर राजति,दुर्गा काली रूप।
उनको आदर भाव से पूजें नर अरु भूप।।

लटियाल की महिमा है भली, हरती दुख संताप।
भक्तों की मुश्किल टरे, स्वयं काटती पाप।।

माँ लटियाल सुखदायिनी ,जग की पालनहार।
पूजो माँ को नौ दिवस, कर देगी उद्धार।।

लटियाल पूजा अर्चना, नमन करूँ धर ध्यान।
बिन माँगे मोती मिले, दुख का करे निदान।।

लटियाल  का सुमिरन जो करे,भक्ति भाव गुणगान।
भवसागर से तारती, मैया दे वरदान।।

लटियाल को नित पूजके,कर्म करे जो नेक।
जीवन में सुख भोगता,पाकर बुद्धि विवेक।।

Sunday 7 July 2019

लटियाल की कृपा से सब काम हों रहा हे करती हो तुम जो मैया मेरा नाम हों रहा हे

मेरा आप की कृपा से सब काम हों रहा हे
लटियाल की कृपा से सब काम हों रहा हे
करती हों तुम जो मैया मेरा नाम हों रहा हे
मेरी जिंदगी मे तुम हों मेरे पास क्या कमी हे
मुजे और किसी  की दरकार भी नही हे.......2
मुजे ये भी पता नही हे
 ये क्या क्या हों रहा हे ............2
करती हों तुम जो लटियाल मेरा नाम हो रहा हे 
करता नही मे फिर भी काम हों रहा हे
मैया तेरी बदौलत आराम हों रहा हे ...............2
बस होता रहे हमेशा जो कुछ भी हों रहा हे
करती हों तुम जो मैया मेरा नाम हों रहा हे ......2
पतवार के बिना ही मेरी नाव चल रही हे
मैया बिना ही मांगे रह चीज मिल रही हे........2
मर्जी हे तेरी मैया अच्छा ही हों रहा हे
करती हों तुम जो लटियाल मेरा नाम हों रहा हे ....2
लटियाल की कृपा से सब काम हों रहा हे


महामानव सेठ अनोपचंद् जी हुडिया

फलोदी को आवश्यकता है आज फिर ऐसे महामानव की -- अब स्मृति शेष है -- महामानव स्व. अनोपचंद जी हुडिया " सेवा ही परमोधर्म व अहिंस...