Thursday 19 September 2019

माँ लटियाल विनय स्तवन



आदि अनादि अलौकिक माँ,
                 तम को उर से नित नाश करो।
आप अदैहिक दैहिक हो,
                जग से सब पाप विनाश करो।।
ओज ललाट प्रचंड महा,
                 जग में अब तेज प्रकाश करो।
कष्ट हरो दुख दूर करो,
                  नित पंचम के घर वास करो।।

हे गिरजा नत दास पड़ा अब,
                  कष्ट हरो अति आप दयाकर।
अम्ब दयालु दया करिये अब,
                 दोष सभी मम मातु क्षमाकर।।
आप सुलोचन संकट मोचन,
                ओज महा तन कोटि प्रभाकर।
कष्ट मिटै सब काम बनें नित,
                    पंचम है नत माँ पद चाकर।।
अम्ब करो अविलम्ब कृपा नव,
              रात्रि निशा अति कष्ट मिटाती ।
ओज बढ़ै यश मान मिले जग,
                सम्पति वैभव आप दिलाती।।
दुःख कभी तन में न रहे जब,
              अम्ब दया अपनी दिखलाती ।
कष्ट मिटे सब कार्य बनें जब,
                 दृष्टि पसार बड़ी हरसाती ।
अम्बे जगदम्बे मातु,आदिशक्ति महामणि,
तुम्हीं कष्ट दूर करो,जड़ता की हारिणी ।
भव से उबारो अम्बे,दायें हस्त सदा रहो,
तमस को तुम्हीं हरो,भवसिंधु तारिणी ।
ब्रम्हांड की हो आधार,तेरा नहीं कोई पार,
अस्त्र शस्त्र अंग सोहे,लाल वस्त्र धारिणी ।
अम्बे की  आदेश ही से, कालचक्र चलता है,
तुम्हीं हो निर्माता अम्बे,सर्व कार्य कारिणी ।

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