लटियाल अष्टक
जय लटियालि आध्य - भवानी ,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े
चरण - कमल कॊ लियो आसरो
शरण तुम्हारी आन पड़े। 1
जब जब भीड़ पड़े भक्तन पे,
भक्तन कें सब काज करे ।
जगजननी लटियाल भवानी
भव सागर से पार करे 2
सिह वाहिनी खड्ग धारिणी
भलहल भालो हाथ धरे ।
महिष विमर्दिनि - दांनव घातिनी ,
दुष्टन क़ा सहार करे 3
रत्न जड़ित सिर मुकुट विराजे
ग्रीवा पर कचमाल लसे ।
कानन कुंडल जलकत तेरे ,
दिव्य रूप मन माही बसे 4
ब्रह्मा विष्णु महेश शेष मुनि ,
शीश जूकावत सब तेरे ।
सिद्ध पीठ लटियाल धाम he
अर्चक कें सब काज करे 5
जो मांगे सो दया भाव से
भक्तन क़ा भंडार भरे ।
जय दुर्गे लटियाल भवानी ,
सभी भक्त जयकार करे 6
कष्ट पड़े भक्तन पे जब जब ,
सगुण होय माँ रूप धरे
अष्टभुजा लटियाल भवानी
पल मेँ संकट दूर करे 7
सचे मन से ध्यावै तुमकॊ
सकल मनोरथ सिद्ध करे ।
भोग मोक्ष कॊ देने वाली
साधक कें सब काज करे 8
लटियाल अष्टक क़ा पाठ करे , श्रधा भाव मन लेय
हरिकृष्ण विश्वास यह मंगल सब कर देय
जय लटियालि आध्य - भवानी ,
हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े
चरण - कमल कॊ लियो आसरो
शरण तुम्हारी आन पड़े। 1
जब जब भीड़ पड़े भक्तन पे,
भक्तन कें सब काज करे ।
जगजननी लटियाल भवानी
भव सागर से पार करे 2
सिह वाहिनी खड्ग धारिणी
भलहल भालो हाथ धरे ।
महिष विमर्दिनि - दांनव घातिनी ,
दुष्टन क़ा सहार करे 3
रत्न जड़ित सिर मुकुट विराजे
ग्रीवा पर कचमाल लसे ।
कानन कुंडल जलकत तेरे ,
दिव्य रूप मन माही बसे 4
ब्रह्मा विष्णु महेश शेष मुनि ,
शीश जूकावत सब तेरे ।
सिद्ध पीठ लटियाल धाम he
अर्चक कें सब काज करे 5
जो मांगे सो दया भाव से
भक्तन क़ा भंडार भरे ।
जय दुर्गे लटियाल भवानी ,
सभी भक्त जयकार करे 6
कष्ट पड़े भक्तन पे जब जब ,
सगुण होय माँ रूप धरे
अष्टभुजा लटियाल भवानी
पल मेँ संकट दूर करे 7
सचे मन से ध्यावै तुमकॊ
सकल मनोरथ सिद्ध करे ।
भोग मोक्ष कॊ देने वाली
साधक कें सब काज करे 8
लटियाल अष्टक क़ा पाठ करे , श्रधा भाव मन लेय
हरिकृष्ण विश्वास यह मंगल सब कर देय
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